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  • खलिस्ताँ
    भारत का गौरव गान सुनकर,सबकी लार टपकती हैं,तुम्हें क्या चाहिये भारत माता से?अब खुलकर के बतलाओ भी,भारत के अमर जवानों को,कब तक तुम आँख दिखाओगे,भारत के सोये सिंह जागे तो,यकीनन खलिस्ताँ कहलाओगे।।Continue reading “खलिस्ताँ”
  • अफ़साने
    वो रुत गयी, वो जामने गए,वो अपने, वो पराये हो गए,वो हमसफ़र, वो बेगाने हो गए,वो काबू से, बेकाबू हो गए।। वो रिश्तों के धागे कच्चे हो गए,वो अपनों के बंधन अफ़सानेContinue reading “अफ़साने”
  • अगर-मगर
    हाँ हैं बहुत झुट्ठे मगर,आप भी दूध के धुले नही,अगर होते दूध के धुले तो,आप गवाही देते नहीं फिरते।। हाँ हैं बहुत कमी मगर,आप भी चाँद की चांदनी नहीं,अगर होते आप परिपूर्णContinue reading “अगर-मगर”
काश्मीर के मुदों पर चर्चा रोज हजार हुईं!
वो चर्चा एक अभिमानी थी,
वो चर्चा एक लाचारी थी,
वो चर्चा एक मजबूरी थी,
वो चर्चा एक बीमारी थी,
वो चर्चा एक अधूरी थी,
वो चर्चा एक अधूरी हैं।

घाटी के पत्थरबाजों की मनसा थी गद्दारी सी!
कह दिया मीडिया अखबारों ने,
उन आतंकी गद्दारों पर,
क्यों रोज फेंकते पत्थर थे?
उन मुस्तेदी पहरेदारों पर।
वो रोज सिफ़ाई मरते थे,
वो रोज सिफ़ाई मरते हैं।

सियासी ठेकेदारों की वो एक अमानत पत्थर थी!
पाकिस्तान के करतूतों पर,
हैं खड़ा काश्मीर सड़कों पर,
सियार सिंह बने फिरते हैं,
भला वार करे सोये सिंहो पर।
वो पत्थर रोज उठाते थे,
वो पत्थर रोज उठाते हैं।

सियासत के दलों ने यूँ दिल्ली को ललकारा हैं!
नित रोज लगते नारे हों,
की "भारत एक हमारा हैं",
काश्मीर क्यूँ बेच दिया?
उन दिल्ली के दरबारों ने।
वो दिल्ली को आंख दिखाते थे,
वो दिल्ली को आंख दिखाते हैं।

काश्मीर के टुकड़े कर यूँ भारत को बचायेंगे!
पत्थर के आगे नतमस्तक थे,
तो सेना क्यूँ बनाई थी?
भेज दिया करों वीरों को,
घाटी के पत्थरबाजों संग।
पर हम पत्थर नही उठाते थे,
ना पत्थर कभी उठायेंगे।

काश्मीर हैं, मुल्क हमारा उस माटी का तिलक लगायेंगे!
कोई नीच हरा दे भारत को,
उस तन में उतना खून नहीं,
शांतिवाद से देश बड़ा हैं,
कब तल्क चुप कर जाएंगे।
सर्जिकल कर दिखलाया था,
सर्जिकल कर दिखलायेंगे।
काश्मीर पर अधूरी चर्चा……..!
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